John Phillips Ministries

जिन बातों को स्वर्गदूत ध्यान से देखने की लालसा करते है - भाग 1

m2t on Apr 27, 2015

सर्वप्रथम वह चरनी के मध्य पालना था । फिर, निर्जन स्थान में वह युद्ध था । उसके पश्चात् गतसमनी का वह बगीचा था । अब बगीचे में वह गुफा है । यह सारी घटनायें थीं जिनको की स्वर्गदूत देखने की इच्छा रखते थे । ऊपर स्वर्ग में योद्धा स्वर्गदूतों के 12 दल सिर से पाँव तक हथियारों से लैस हाथों में तलवार लिए हुये, स्वर्ग के कंगूरे पर झुके हुये इन घटनाक्रमों को देख रहे थे । वे उसके एक शब्द का इंतज़ार कर रहे थे । और यह उनके लिए सारे घटनाक्रम का पटाक्षेप करने को पर्याप्त था । वे देखते थे कि किस प्रकार लोग दिखावटी न्यायालय में उनके प्रिय पर झूठे आरोप लगा रहे थे, और जब उन्होंने उसकी आँखों पर पट्टी बाँध कर उसके चेहरे पर घूंसे जड़े, और जब उन्होंने उसे काँटों का ताज पहनाया , और जब वह उसकी पीठ को किसान के खेत की तरह जोतते थे , और जब उन्होंने उसे दोषरहित घोषित किया तथा उसके पश्चात उसे पापी के समान मृत्युदंड दे दिया, और जैसे वे उसे खोपड़ीनुमा पहाड़ी पर ले गये तथा रोमी वृक्ष पर कीलों से ठोंक दिया । स्वर्गदूतों को बस एक शब्द की दरकार थी ! पर वह कभी नहीं आया । खामोशी से उन्होंने अपनी तलवारों को रख दिया । अरमागेदान को अभी इंतज़ार करना होगा । वे उंचाई पर चारों और खड़े हुये उसे सारा तिरस्कार और निंदा सहते हुये देखते थे । वे देखते रहे जबकि उसने अपना सर झुकाया और मर गया ।

तब उसके मित्र आए। उन्होंने उसके क्षत विक्षत शव को वृक्ष से उतारा । दो आदमियों एवं कुछ दुखी महिलायों ने उसके शरीर को कब्र में रखने के लिए तैयार किया । कीमती कपड़े और मसाले इस कार्य में इस्तेमाल किये गये । उन्होंने उसे महक वाले मसाले लगा लगाकर पट्टियों से लपेटा । फिर उन्होंने उसे यरूशलेम के बगीचे में एक अमीर आदमी की कब्र में रखा । उन्होंने कब्र के मुहाने को पत्थर से ढक दिया और फिर सिपाहयों ने आकर कब्र को सील कर दिया तथा पहरेदार बिठा दिए, ताकि कोई कब्र से छेड़छाड़ ना कर सके ।

धरती अपने ऊपर इस कीमत रहित बोझ को धारण किये हुये, अपनी धुरी पर तीन लंबे, उबाऊ, अंतहीन दिनों एवं तीन अँधेरी, मृतप्राय, सुनसान रातों तक, इस अंतरिक्ष में गोल गोल घूमती रही । वह खराब ना होने वाली मिट्टी यरूशलेम के पर्वत के पत्थरों में खोदी गयी गुफा के अन्दर लेटी रही । और, वहाँ ऊँचे पर, स्वर्गदूतों ने इन चीज़ों में देखने की इच्छा की । और तब यह हुआ ! प्रभु निचली दुनिया की गहराइयों से लौट आया, और वह जब कब्र में प्रवेश किया तो पहरेदार उसे ना देख पाये , और अपने शरीर में पुन : प्रवेश कर गया, जो कि शुद्ध, दागरहित, तथा क्षय के अपमान से बिलकुल अनछुई थी । उसने कब्र के कपड़ों को त्याग दिया, जो कि अब प्लास्टर आफ पैरिस की तरह कड़े हो गये थे । वह उन कपड़ों के मध्य आसानी से खड़ा हुआ और फिर सीलबंद दरवाज़े से चलता हुआ निकल गया तथा गायब हो गया। दो स्वर्गदूत आये । वे दोनों कौन थे ? मेरा अंदाज़ा है कि उनमें से एक जिब्राइल रहा होगा जो कि संदेशवाहक स्वर्गदूत है और परमेश्वर की इच्छा मनुष्यों को प्रेषित करता है, और दूसरा मिकाइल रहा होगा, जो कि योद्धा स्वर्गदूत है तथा स्वर्ग की सेनाओं का सेनानायक है । सैनिकों के लिए अकथनीय अवहेलना के साथ, उन्होंने सील को तोड़ दिया और पत्थर को ढकेल दिया – इसीलिए नहीं कि ख्रीस्त को बाहर निकालें , परन्तु यह दर्शाने के लिए कि वह जा चुका है । फिर वे बैठ गये व इंतज़ार करने लगे ।

संभवत: उन्होंने सोचा था कि प्रभु के चेलों को उसका वायदा याद होगा कि वह तीसरे दिन जी उठेगा । अत: निश्चय ही सुबह की रोशनी फूटते ही वे सब आयेंगे । कुछ महिलायें दिखी और निश्चय ही इससे कुछ उत्साह जगा । परन्तु वे तो बची-खुची कफ़न-दफ़न की प्रक्रिया करने आयीं थीं ! बाद में कुछ आदमी आये पर वे रुके नहीं । ऐसा प्रतीत होता है कि किसी ने भी प्रभु यीशु मसीह द्वारा कहे गये शब्दों पर विश्वास नहीं किया था ।

स्वर्गदूत अपने घर को लौट गये । हम उस दृश्य को देख सकते हैं कि दुसरे स्वर्गदूत इन स्वर्गदूतों से मिलने चले आते हैं और उन्हें घेर कर खड़े हो जाते हैं । उन्होंने कहा होगा “अब निश्चय ही”, “निश्चय ही आदम के बच्चे कब्र पर बड़ी संख्या में चले आते होंगे !” “नहीं !” उन दो विशिष्ट स्वर्दूतों में से एक ने कहा होगा । “नहीं !” वास्तविकता में , एक महिला जो देखने आई वो काफी निराश लग रही थी । उसने अपनी पीठ मेरी ओर फेर ली और ओने हाथों को खाली कब्र के ऊपर घुमाया । मैंने उसे हमारे प्रिय से ऐसे बात करते सुना जैसे कि वो कोई माली हो, और ऐसे मानो कि उसने गायब शरीर को कहीं छुपा दिया हो । कितना हठी इसका विश्वास है ! फिर भी हमारा प्रभु उनसे प्यार करता है । वह कहता है, कि उनके लिए उसके पास बहुत बड़ी योजनायें हैं । “ये कुछ और दूसरी चीज़े हैं जिनमें हमे देखना चाहिए” ।