John Phillips Ministries

जिन बातों को स्वर्गदूत ध्यान से देखने की लालसा करते है - भाग 3

m2t on Apr 27, 2015

हमने स्वर्गदूतों को चरनी के पालने में देखते हुये देखा तथा निर्जन स्थान के युद्ध को देखते हुये पाया। अब हम उन्हें गतसमनी के विहार में देखने की इच्छा रखते हुये पाते हैं ।

यरूशलेम के ठीक बाहर, जैतून पर्वत के डाल पर और बिलकुल ठीक किद्रोंन को ठीक पार कर के, एक घेरेदार बगीचा था । यह प्राचीन वृक्षों का स्थान था । उनके बड़े घुमावदार तने और फैली हुई टहनियां फल – फूलों से लदी रहती तथा एक प्राकृतिक विहार का निर्माण करतीं, जहाँ पर जीवन के दबावों से मुक्त होकर जिया जा सकता है । यीशु को वहाँ जाना बहुत प्रिय लगता था, उस जगह का नाम गतसमनी था जिसका तात्पर्य है –“तेल से भरा हुआ” । यह वह जगह थी जहाँ पर प्रभु अपनी मृत्यु से पूर्व गया वे वहाँ पर नज़र रखने तथा विलाप करने तथा प्रार्थना करने गया था ।

पहले वह एक पत्थर फेंकने की दूरी पर अपने तीन सबसे प्रिय मित्रों से अलग चला गया (लूका 22 : 41 ) “ एक पत्थर फेंकने की जितनी दूरी” , मुहावरे के साथ एक अपशगुन जुड़ा हुआ है । यहूदी लोग अपराधियों को पत्थरवाह कर के मृत्यु दण्ड देते थे । अत: “ एक पत्थर फेंकने जितनी दूरी” मृत्यु से जितनी दूरी है उसका पर्याय थी । यीशु मसीह मृत्यु से केवल एक पत्थर फेंकने जितनी दूरी पर था ।

मरकुस ने बिना किसी संदेह के पतरस के वर्णन को यह कहते हुये प्रस्तुत किया है कि ख्रीस्त “बहुत बोझ से दबे हुये मालुम होते थे” (मरकुस 14 :33 ) । जिस शब्द का उसने इस्तेमाल किया है उसका अर्थ है “अवसादग्रस्त” । इसके बारे में विचार करके देखो ! यीशु, सब चीजों पर विजय पाने वाला ख्रीस्त जिसके कि नियंत्रण में हर स्थिति रहती थी, वह अब अवसादग्रस्त था! थोड़े ही समय पूर्व उसने अटारी पर इब्रानी में हल्लेलुय्याह गीत गाया था । अब वह हमारे पापों के विचार से दबा हुआ पीड़ा से कराह रहा था, साथ ही मरकुस हमें बताते हैं कि वह अत्याधिक “आश्चर्यचकित” अथवा “(अत्यधिक विस्मित )” था । यह वर्णन हमें केवल मरकुस के सुसमाचार में मिलता है तथा वह उसको तीन बार बताता है । उसने इस शब्द का इस्तेमाल रूपांतरण के पर्वत पर उनलोगों का विवरण देने के लिए इस्तेमाल किया है , जो की प्रभु के स्वर्ग के साथ सीधा संबंध होने और उसके मध्य पहुंचने के चमक से भर गये (मरकुस 9 :15 ) वह इस शब्द का इस्तेमाल फिर से, ख्रीस्त की खाली कब्र पर स्वर्गदूतों के प्रगट होने के संदर्भ में करता है । यह शब्द उन महिलाओं के प्रतियुत्तर का विवरण देता है । वह सभी भयभीत हो गयीं थीं या भय में जकड़ गयीं थीं ( मरकुस 16 : 5 ) । और अब मरकुस इस शब्द का इस्तेमाल बगीचे में प्रभु के दुःख का विवरण देने के लिए कर रहा है । उन दोनों दुसरे संदर्भों में (महिला की चमक जो की उसके चेहरे पर थी जब वह पर्वत से नीचे आया, तथा उसकी चमक जो की कब्र की रखवाली करता था) शब्द का संबंध दूसरी दुनिया से है । वही चीज़ यहाँ पर भी लागू होती है जैसे ही उसने अंधकार में देखा और जब उसको वह कटोरा प्रस्तुत किया गया तो वह संसार के उस बुराई जिसको की उसे ग्रहण करना था देखकर व्याकुल हो उठा था । इस पुराने गीत में विचारों की झलक मिलती है ।

हे प्रभु तू कितनी पीड़ा में था ,
ये तो हमारे गुनाहों का बोझ था,
हमारे ऊपर बढ़ा हुआ था क़र्ज़,
जिसको अपने खून से था तूने चुकाया ।

स्वर्गदूत इन सभी घटनाक्रम को देखने की इच्छा रखते थे यह सब उनकी समझ से परे था- की उनके प्रिय ने हमारे पापों के छल और भयावहता को ऐसा ग्रहण किया कि हमारे लिए वह वास्तव में “पाप बन गया” ।

और जब ऐसा हुआ कि गतसमनी में वह भविष्य में क्या होने वाला सोचकर , मृत्यु की निकटता में आया , तो स्वर्गदूत उसको सामर्थ प्रदान करने के लिए आये । उसे वहाँ बगीचे में निश्चय ही वहीँ मरना चाहिए , क्योंकि उसे तो खोपड़ीनुमा पहाड़ी जो कि कलवरी कहलाती है पर मरना है ।

इसीलिए स्वर्गदूत आये । उन्होंने उसकी सेवा की ओर फिर , दुःख से भरे हुये , वह घर को लौट गये । और फिर से स्वर्गदूतों ने उसके चारों ओर घेरा डाल लिया । “ आप कहते हो वह अकेला था ? क्या आदम की जाति का कोई भी एक जन उसके माथे के पसीने को पोंछने के लिए तथा उसका हाथ पकड़ने के लिए नहीं था” ? सेवा करने वाले स्वर्गदूतों ने उत्तर दिया होगा, “हमने थोड़ी ही दूर पर तीन आदमियों को देखा था” । “वे उसके मित्र थे- और वे उन्हें पतरस, याकूब और यहुन्ना बुलाता था । पर वे गहरी नींद में थे” ।

अत: पतरस , याकूब और यहुन्ना ने जीवन में कभी-कभार मिलने वाले इस अवसर को खो दिया, जब वह प्रभु कि ज़रुरत वाले क्षण में उनकी सेवा कर सकते थे । कितनी बार, कोई सोचता है कि हमने इसी प्रकार के उन अवसरों को खो दिया की जब हम उचच प्रशिस्त एवं अंनत पुरूस्कार जीत सकते थे ।




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