John Phillips Ministries

अध्ययन और शब्द का उपदेश

जॉन फिलिप्स ब्रिटिश सेना में सम्मलित होने के लिए अपने मार्ग पर अग्रसर थे तब परमेश्वर ने उनके ह्रदय से बात की , “जब तक आप फ़ौज में है तब तक आपके द्वारा अभ्यास की जाने वाली मसीहत का पालन नहीं कर सकेंगें”। उसी रेल यात्रा में उन्होंने प्रभु यीशु मसीह को अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने का संकल्प लिया । जब वे अपने निर्धारित शिविर में गये तो उन्होंने अपनी बाइबिल को अपने बिस्तर पर मुख पृष्ठ ऊपर की ओर करते हुये रखा । परमेश्वर ने उनकी वचनबद्धता को सम्मानित किया एवं वे कभी उपहास का पात्र नहीं बने ।

उस क्षण से जॉन का जीवन पूर्ण रूप से परमेश्वर के लिए उप्लब्ध हो गया । अनेक अविश्वासनीय वर्ष बीतते गये एवं परमेश्वर इस व्यक्ति की अगुवाई करता रहा जिसने अपना जीवन परमेश्वर को समर्पित किया था ।

यह वेबसाईट उन लोगों के प्रयासों की परिपूर्णता है जो फिलिप्स को जानते व उनसे प्यार करते है एवं जीवन पर्यंत उनके परिश्रम से लिखी गयी पुस्तकों व प्रचारित संदेशों को विश्व में उप्लब्ध करना चाहते है। हमारे साथ आयें जबकि हम वचन की खोज में जॉन फिलिप्स के साथ सम्मलित होते है ।

Today's Devotional

1 पतरस 1 :11 -12

सर्वप्रथम वह चरनी के मध्य पालना था । फिर, निर्जन स्थान में वह युद्ध था । उसके पश्चात् गतसमनी का वह बगीचा था । अब बगीचे में वह गुफा है । यह सारी घटनायें थीं जिनको की स्वर्गदूत देख… continue reading »